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Medicine Failed In Quality Test: क्या आप भी ले रहे हैं पैरासिटामोल समेत ये 50 से ज्यादा दवाएं? गुणवत्ता परीक्षण में सामने आया चौंकाने वाला सच!

Medicine Failed In Quality Test: क्वालिटी चेकिंग के लिए हर महीने रैंडमली विभिन्न राज्यों से दवाओं के सैंपल्स लिए जाते हैं और फिर उनकी जांच.......

नई दिल्ली, Medicine Failed In Quality Test:  बुखार में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली पैरासिटामोल टैबलेट गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई है। इसके साथ ही कैल्शियम, विटामिन डी, कई एंटी-डायबिटीज दवाएं भी इस लिस्ट में शामिल हैं। भारतीय औषधि नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने यह सूची अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की है। इसमें बताया गया है कि 50 से ज्यादा दवाएं हैं, जोकि स्टैंडर्ड क्वालिटी के हिसाब से नहीं हैं। इससे पहले भी जून में भी ऐसी ही लिस्ट जारी की गई थी, जिसमें भी पैरासिटामॉल समेत 52 दवाओं का नाम था।

हर महीने की जाती है जांच

Medicine Failed In Quality Test : क्वालिटी चेकिंग के लिए हर महीने रैंडमली विभिन्न राज्यों से दवाओं के सैंपल्स लिए जाते हैं और फिर उनकी जांच की जाती है। विटामिन सी और डी3 की टैबलेट्स शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी सॉफ्टजेल, एंटीएसिड पैन-डी, पैरासिटामॉल की गोलियां आईपी 500 एमजी, डायबिटीज की दवा ग्लिमेपिराइड, हाई ब्लड प्रेशर की दवा टेल्मिसर्टन आदि समेत 53 दवाए हैं, जोकि क्वालिटी टेस्ट में पास नहीं हो सकी हैं।इन दवाओं का मैन्युफैक्चर एल्कम हेल्थ साइंस यूनिट-2, मेज लाइफसाइंसेंस, मेसर्स प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स स्कॉट एडिल लिमिटेड जैसी कंपनियां करती हैं। सरकारी डेटा में दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट, बैच नंबर, प्रोडक्ट नाम आदि की डिटेल्स दी गई हैं। पैरासिटामॉल टैबलेट्स आईपी 500 एमजी, जिसका निर्माण मेसर्स कर्नाटक एंटीबॉयोटिक्स एंड फार्मा ने किया है, उसे भी गुणवत्ता जांच में विफल पाया गया है।

इस दवाई को माना गया नकली

Medicine Failed In Quality Test : इसके अलावा, कोलकाता की एक दवा-परीक्षण प्रयोगशाला ने एल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक्स क्लैवम 625 और पैन डी को नकली माना है। इसी प्रयोगशाला ने हैदराबाद स्थित हेटेरो के सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन की पहचान की है, जो गंभीर जीवाणु संक्रमण वाले बच्चों के लिए निर्धारित है, इसे घटिया बताया है।

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

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